Healthcare

भारत बनाएगा स्वास्थ्य का सुरक्षा कवच

SOURCE : EODB NEWS | PUBLISHED : 25 JUNE 2024

कभी सोचा है कि जंगली जानवरों की छींक का आपकी सर्दी से क्या लेना-देना हो सकता है? चौंक गए ना? लेकिन यही सच है। आज हम जिस दुनिया में रहते हैं, वो एक ख़तरनाक ज़ाल है, जहाँ इंसानों, जानवरों और पर्यावरण का स्वास्थ्य आपस में गहराई से जुड़ा हुआ है। एक को होने वाली बीमारी दूसरे को भी अपनी चपेट में ले सकती है।

इसी खतरे से निपटने के लिए भारत सरकार एक अनोखे मिशन पर निकली है, जिसका नाम है “वन हेल्थ” मिशन। ये मिशन सब को साथ लेकर काम करेगी, जहाँ अलग-अलग विभाग मिलकर बड़ी बीमारी और भविष्य में होने वाले खतरे को रोकने की कोशिश करेंगे। एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण एक सहयोगी दृष्टिकोण है जो लोगों, जानवरों, पौधों और उनके साझा पर्यावरण के बीच कनेक्शन को मानता है।

“राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन” इसी स्वास्थ्य दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों की क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाने वाला साझा प्रयास है।

भारत के लिए इसका बहुत महत्व है। हमारे देश में विविध वन्यजीव, पशुओं की बहुत बड़ी आबादी और घनी मानव बसावट है, जिसके कारण बीमारियों का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में फैलने का खतरा ज्यादा रहता है। कोविड महामारी, हाल ही में मवेशियों में लंपी स्किन रोग(डिजीज) का फैलना और लगातार बर्ड फ्लू का खतरा इस बात को दर्शाते हैं कि मानव स्वास्थ्य को सिर्फ जूनोटिक रोग के नजरिये से बीमारियों को देखना पर्याप्त नहीं है, बल्कि पशुओं और वन्यजीवों के पहलुओं को भी अच्छे से समझना और संबोधित करना आवश्यक है। इससे हर क्षेत्र की खूबियों और ताकत का एक साथ इस्तेमाल करने का मौका मिलता है, जिससे एकीकृत, मजबूत  प्रतिक्रिया प्रणाली बनाई जा सकती है। बीमारी का पहले से पता चलना, और उसके रोकथाम की कोशिश करना जो की रिसर्च(शोध) के माध्यम से ही पूरी हो सकती हैं तो किसी भी महामारी को रोका जा सकता हैं तथा उसके लिए पर्याप्त दवाइयां भी निजात की जा सकती हैं।

जल, जंगल और जीव – सब एक धागे में पिरोए

आप सुबह उठते हैं और गले में खराश महसूस करते हैं। डॉक्टर के पास जाते हैं तो पता चलता है कि सर्दी हो गई है। लेकिन ये सर्दी कहाँ से आई? शायद हवा में मौजूद किसी वायरस से। ये वायरस कहाँ से आया? हो सकता है किसी और इंसान से छींक के जरिये फैला हो। अब ये सिलसिला आगे भी बढ़ सकता है।

लेकिन क्या होगा अगर ये वायरस किसी जंगली जानवर से इंसानों में आया हो? ये बिल्कुल असंभव नहीं है। जंगली जानवरों में भी कई तरह के वायरस पाए जाते हैं, जो कुछ स्थितियों में इंसानों में भी फैल सकते हैं। कोविड-19 जैसी महामारी इसी बात का जीता जागता उदाहरण है।

इसलिए ये जरूरी है कि हम इंसानों, जानवरों और पर्यावरण के स्वास्थ्य को एक साथ मिलकर देखें। यही वन हेल्थ मिशन का मूल मंत्र है।

वन हेल्थ मिशन – एक जुट होकर बीमारियों से जंग

वन हेल्थ मिशन एक राष्ट्रीय पहल है, जिसका उद्देश्य मनुष्यों, पशुओं और पर्यावरण को प्रभावित करने वाली बीमारियों का एक साथ मिलकर प्रबंधन करना है। इसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, पशुपालन और जैव प्रौद्योगिकी सहित 13 विभिन्न मंत्रालयों और विभागों का सहयोग शामिल है।

यह एक टीम की तरह काम करेगा जहां हर विभाग अपने विशेषज्ञता के साथ मिलकर बीमारियों से लड़ने की रणनीति बनाएगी। मछली पालन विभाग जलीय जीवों में फैलने वाली बीमारियों पर नजर रखेगी, वहीं, वन विभाग जंगली जानवरों के स्वास्थ्य की जांच करेगी। इसी तरह से हर विभाग अपने क्षेत्र में बीमारियों की निगरानी करेगी और बाकी विभागों के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान भी करेगी

“एक स्वास्थ्य मिशन” को मजबूत बनाने के लिए कई अभ्यास किए जा रहे हैं। इनमें रोगों और उनके उपचारों की जानकारी जुटाना, निगरानी कार्यक्रमों को एकीकृत करना और प्रयोगशाला क्षमताओं का पता लगाना शामिल है। यह न केवल बीमारियों से लड़ने में मदद करेगा बल्कि भविष्य की चुनौतियों के लिए भी तैयार करेगा।

“एक स्वास्थ्य” मिशन का लक्ष्य मानव, पशु और पर्यावरण के स्वास्थ्य के बीच संबंध को मजबूत करना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई कार्य और अभ्यास किए जा रहें है। यह अभ्यास मौजूदा कार्यक्रमों को मजबूत बनाकर उन्हें “एक स्वास्थ्य” मिशन में शामिल करने में मदद कर रहे हैं।

पहला अभ्यास “रोग संबंधी कमियों को प्राथमिकता देना” है। इसमें उन बीमारियों की पहचान की जाती है जो मनुष्यों और पशुओं में फैल सकती हैं या महामारी का रूप ले सकती हैं। साथ ही, इन बीमारियों के उपचारों की भी जानकारी जुटाई जाती है। इससे पता चलता है कि किन क्षेत्रों में और शोध की आवश्यकता है।

दूसरा अभ्यास “मौजूदा निगरानी कार्यक्रमों की मैपिंग” है। इसमें मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़े सभी निगरानी कार्यक्रमों की जानकारी इकट्ठी की जाती है। इससे पता चलता है कि कौन से कार्यक्रम एक जैसे काम कर रहे हैं और उन्हें मिलाकर और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।

तीसरा अभ्यास “प्रयोगशाला क्षमताओं की मैपिंग” है। इसमें देश भर की प्रयोगशालाओं की जांच की जाती है कि वे किस स्तर के रोगों की जांच कर सकती हैं। इससे यह पता चलता है कि देश में रोगों की जांच के लिए क्या संसाधन उपलब्ध हैं और उन्हें कैसे बेहतर बनाया जा सकता है।

ये अभ्यास “एक स्वास्थ्य” मिशन की नींव मजबूत कर रहे हैं। इनसे प्राप्त जानकारी के आधार पर भविष्य में होने वाली महामारियों से लड़ने के लिए बेहतर रणनीति बनाई जा सकती है।

सुपर पावर बनने की तैयारी–टेक्नोलॉजी का सहारा

वन हेल्थ मिशन सिर्फ सरकारी विभागों के आपसी तालमेल तक सीमित नहीं है। इसमें आधुनिक तकनीक का भी भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और मशीन लर्निंग जैसी तकनीक का इस्तेमाल कर के वैज्ञानिक बीमारियों के फैलने के पैटर्न का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।

इसी तरह से जंगली जानवरों पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही, उच्च जोखिम वाले रोगाणुओं की जांच के लिए विशेष प्रयोगशालाओं का जाल बिछाया जा रहा है। ये सभी कदम बीमारियों को उनके शुरुआती दौर में ही पकड़ने में मदद करते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर फैलने का खतरा कम हो जाता है।

जहाँ ताली बजाएगी पूरी दुनिया – अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

वन हेल्थ सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। भारत के जी-20 अध्यक्षता के दौरान वन हेल्थ को समर्थन प्राप्त हुआ, जिसने स्वास्थ्य निगरानी में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया। इसको हम महामारी (Pandemic) के दौरान एक प्रचलित कथन के तौर पर भी देख सकते हैं, “जब तक सभी सुरक्षित नहीं होते, तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है”।

अगर हम बीमारियों से सचमुच लड़ना चाहते हैं, तो हमें अलग-अलग देशों की सीमाओं को पार कर के साथ मिलकर काम करना होगा। वन हेल्थ मिशन इसी दिशा में एक कदम है। इस मिशन के तहत भारत दुनिया के अन्य देशों के साथ मिलकर बीमारी की रोकथाम और प्रबंधन के लिए रणनीतियां बना रहा है।

हमारी भूमिका

  • वन हेल्थ मिशन की सफलता सिर्फ सरकार के प्रयासों पर ही निर्भर नहीं करती। इसमें हमारी, यानी आम जनता की भी अहम भूमिका है। इसमें सबके साथ और सबके प्रयास की बात की गयी हैं जिसे हम मिशन लाइफ, या पर्यावरण के लिए जीवनशैली के नज़रिए से भी देख सकते हैं , मिशन लाइफ एक भारत-नेतृत्व वाली वैश्विक जन आंदोलन है जो व्यक्तिगत और सामुदायिक कार्रवाई को पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रेरित करता है। इसे नवंबर 2021 में ग्लासगो में आयोजित 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) में भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया था। इसमें स्वच्छता बनाएं रखना, पर्यावरण तथा जंगलो और वन्यजीवों का संरक्षण करना हैं । वन हेल्थ मिशन सही जानकारी हासिल करने पर भी ज़ोर देता हैं ताकि अफवाहों पर ध्यान न दिया जा सके और स्वास्थ्य से जुड़ी सही जानकारी के लिए लोग सरकारी वेबसाइटों या डॉक्टरों से सलाह लें।

वन हेल्थ मिशन एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका लक्ष्य है इंसानों, जानवरों और पर्यावरण के बीच एक स्वस्थ संबंध स्थापित करना। इस मिशन की सफलता से न सिर्फ हम महामारियों से बच सकते हैं, बल्कि एक स्वस्थ और खुशहाल दुनिया का निर्माण भी कर सकते हैं। यह मिशन सरकारी विभाग, आधुनिक तकनीक और हम सब के साथ मिलकर एक स्वस्थ भविष्य की नींव रखता हैं

SOURCE : EODB NEWS | PUBLISHED : 25 JUNE 2024

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