Healthcare

आशा की नई दिशा: विकसित भारत की स्वास्थ्य सेवा

SOURCE : EODB NEWS | PUBLISHED : 26 JUNE 2024

COVID-19 को गए हुए कुछ ही महीने हुए हैं और हमने देखा है कि किस तरह लोगों ने उसमें अपने लोगों को खोया है। लेकिन क्या भविष्य में ऐसी महामारी से लड़ने के लिए हम तैयार हैं? भारत को विकसित बनाने के लिए ऐसी महामारी से लड़ने के लिए सुविधाओं समेत लोगों को जागरूक होना भी जरूरी है। पिछली महामारी में भी आशा दीदी आशा की किरण बन कर सामने आई थीं, लेकिन अब आशा दीदी को इतना प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों के आखिरी सदस्य तक भी स्वास्थ्य संबंधी सुविधा पहुंच सके।

2011 के भारत की जनगणना के अनुसार 69% भारतीय गांव में रहते हैं। गांव में रहने वाले लोगों के लिए एक आशा की किरण आशा दीदी ही हैं।

कौन होती हैं आशा दीदी और क्या होता है उनका कार्य?

आशा दीदी भारत सरकार के तहत ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरतों की जानकारी देने और देखभाल के लिए नियुक्त की जाती हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में सूचनाओं का आभाव होता है तो गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना और बच्चों के टीकाकरण, स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी अन्य जानकारियां लोगों को देती हैं। आशा दीदी ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आखिरी इंसान तक भी स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाती हैं।

आशा दीदी प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं के साथ एक मां और एक दोस्त के रूप में काम करती हैं। घर-घर जाकर वे छोटे बच्चों को बुनियादी पोषण सामग्री वितरित करती हैं, टीकाकरण के लिए जागरूक करती हैं। साथ ही स्वच्छता के महत्व को समझाते हुए स्वास्थ्य से जुड़ी सभी सरकारी योजनाओं की जानकारी आम लोगों तक पहुंचाती हैं।

आशा दीदी के द्वारा कोरोना के समय किए गए कार्य को लेकर और उनके जज्बे को WHO ने भी सलाम किया। डब्ल्यूएचओ ने 10 लाख आशा कार्यकर्ताओं को ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवॉर्ड से सम्मानित किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शुभकामना देते हुए ट्वीट किया था कि आशा कार्यकर्ता एक स्वस्थ भारत सुनिश्चित करने में सबसे आगे हैं। इससे उन्होंने ये संदेश भी दिया कि भविष्य के स्वास्थ्य अभियानों में आशा कार्यकर्ताओं की चेन बड़ी भूमिका निभाने वाली है।

WHO के महानिदेशक ने कहा कि ‘ऐसे समय, जब दुनिया असमानता, संघर्ष, खाद्य असुरक्षा, जलवायु संकट और एक महामारी का एक साथ सामना कर रही है, यह पुरस्कार उन लोगों के लिए है, जिनका दुनिया भर में स्वास्थ्य की रक्षा और बढ़ावा देने में उत्कृष्ट योगदान रहा है।’

DIISHA कार्यक्रम का क्या है मकसद ?

मौजूदा समय की अगर बात करें तो DIISHA एक कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। जिसके तहत दो लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वो ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर उनके स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान वहीं कर सकें। ऐसा होने से ग्रामीणवासियों को कहीं दूर नहीं जाना पड़ेगा।

अभी DIISHA कार्यक्रम को पायलट तौर पर 9 राज्यों में शुरू किया गया है। इन राज्यों में लक्ष्य है कि 1 करोड़ 25 लाख लोगों की देखरेख किया जा सके। वहीं, आने वाले समय में DIISHA कार्यक्रम के तहत 12 करोड़ 25 लाख लोगों की देखरेख की जाएगी।

जिन 9 राज्यों में ये कार्यक्रम पायलट तौर पर शुरू किया गया है, वो राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, सिक्किम, आसाम, ओडिशा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र हैं।

आशा दीदियां स्वास्थ्य कार्यकर्ता की तरह काम करती हैं। 25 से 45 वर्ष तक की आशा कार्यकर्ता पंचायत के प्रति जवाबदेह होती हैं और आंगनवाड़ी के ज़रिए काम करती हैं। हर गांव में एक हज़ार लोगों पर एक आशा कार्यकर्ता का प्रावधान है। आदिवासी और पहाड़ी इलाकों में भी आशा वर्कर्स तैनात होती हैं, जो पूरी ज़िम्मेदारी के साथ अपना काम पूरा करती हैं। खराब मौसम, उफनती नदी, तेज धूप की परवाह किए बिना इनका एक ही लक्ष्य होता है, स्वस्थ भारत। केंद्र सरकार स्वस्थ भारत का सपना देख रही है। जिसे साकार करने में आशा कार्यकर्ता बड़ी भूमिका निभा रही हैं।

आशा दीदी की समस्याओं को हल करेगा DIISHA कार्यक्रम

मौजूदा समय की बात करें तो आशा दीदी के पास बहुत कार्यभार होता है, जिसकी वजह से वे कई बार अपना कार्य करने में असफल हो जाती हैं। आधुनिक के इस दौर में भी वो डायरी में ही डाटा लिखती हुई आ रही हैं, जिसकी वजह से डाटा गायब होने का खतरा बना रहता है और उनको पर्याप्त ट्रेनिंग भी नहीं मिल पाती है। ट्रेनिंग व कोई डिजिटल उपकरण न मिलने की वजह आशा दीदी को बहुत सी समस्याओं को सामना करना पड़ता है। DIISHA कार्यक्रम के तहत आशा दीदी के लिए R-R-R मॉडल पर काम करेगी। Recognition- आशा दीदी मौजूदा समय में सीमित संसाधनों से जो कार्य कर रही हैं, उनको इसके लिए सराहना दिया जाएगा

Reward- उनको Device दिया जाएगा ताकि वो कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद कर सकें और बिना परेशानी के डाटा ले सकें। साथ ही उन्हें उनके नाम का बैच भी दिया जाएगा ताकि उनका मनोबल बढ़े।

Reimbursement- कुछ ऐसी स्कीम होती है, जिसके तहत कुछ खास मरीजों को सरकार की तरफ से कुछ सहायता राशि भी दी जाती है, ऐसे मरीजों की पहचान करना भी आशा दीदी का ही होता है। एक टारगेट के बाद उन्हें कुछ इंसेंटिव की भी व्यवस्था की जाएगी।

मुख्य उद्देश्य आशा दीदी को इतना सशक्त बनाना है कि ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों को डॉक्टर के पास जाकर मोटी फीस खर्च ना करना पड़े। जो डाटा आशा दीदी अपने माध्यम से लेंगी और दिए गए उपकरण के माध्यम से एंट्री करेंगी, उसका आकलन सरकार करेगी और फिर कुछ खास मरीजों की सूची आशा दीदी के पास आएगी, जिससे उन मरीजों पर नजर रखने में मदद मिलेगी।

अभी हम अगर देखें तो आशा दीदी का मुख्य कार्य छोटी-मोटी बीमारियों को लेकर देखरेख करना या फिर गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना और बच्चों के टीकाकरण, स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी अन्य जानकारियां लोगों को देती हैं। अब DIISHA कार्यक्रम के तहत आशा दीदी को इतना सक्षम बना देना है कि वो ज्यादा से ज्यादा बीमारियों की जांच वो उसी समय कर सकें और डॉक्टर को फोन पर ही बता सकें। ताकि कुछ जानकारी लेकर डॉक्टर उसी समय मदद कर सके। इससे मरीज़ को कहीं जाना नहीं पड़ेगा और उसका इलाज घर पर ही हो जाएगा।

अगर आशा दीदी किसी बड़ी बीमारी से पहले ही उसकी जांच कर मरीज़ को बता देंगी तो उन्हें किसी बड़े हॉस्पिटल के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। साथ ही महिलाओं में होने वाली कई खतरनाक बीमारियों का पता पहले ही चल जाएगा और उन्हें आशा दीदी की देखभाल में बेहतर इलाज मिल पाएगा।

मौजूदा समय में खासकर युवा वर्ग आशा दीदी को उस सम्मान के साथ नहीं देखता है, जिसकी वो हकदार हैं। कोई भी आजकल आशा दीदी नहीं बनना चाहती हैं, लेकिन DIISHA कार्यक्रम के तहत आशा दीदी को इतनी काबिल और सक्षम बना दी जाएंगी कि युवा वर्ग खुद आशा दीदी बनने के लिए आगे आएंगी।

SOURCE : EODB NEWS | PUBLISHED : 26 JUNE 2024

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