DIISHA
Healthcare

अब 125 करोड़ ग्रामीण वासियों को नहीं काटने होंगे अस्पताल के चक्कर

रोटी, कपड़ा और मकान ऐसी सुविधाएं है जिसकी जरुरत हर इंसान को होती है और इन्ही तीन सुविधायों का अभाव ज़िन्दगी को नरक बना देती है। मौजूदा समय में इंसान की जरूरतों में चिकित्सा भी जुड़ गया है और अब रोटी,कपडा, मकान और चिकीत्सा सबसे महतवपूर्ण बिंदु बन गया है। COVID 19 के बाद तो चिकित्सा का स्तर और इसपर होने वाले खर्च दोनों में इजाफा हुआ है लेकिन फिर भी लोगों को बेहतर चिकित्सा नहीं मिल पा रही है।

आज भी एक सर्वे के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों से 60 फिसद से ज्यादा पुरुष अपनी रोज़ी-रोटी की तलाश में मेट्रो सिटी की तरफ जाते हैं और वो अपने परिवार को घर पर ही छोड़ देते है। एक आकड़ा के मुताबिक गांव में जिला अस्पताल की दुरी लगभग 15 किलोमीटर होती है जिसकी वजह से लोग किसी इमरजेंसी में आसानी से हॉस्पिटल तक नहीं पहुंच पाते हैं। हॉस्पिटल ना पहुंच पाने की वजह से कई बार लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है। कई बीमारियाँ ऐसी होती है जिसका इलाज़ जिला अस्पताल में होता ही नहीं है या जाँच करने का उपकरण मौजूद नहीं होता है, जिसकी कीमत उन्हें अपनी जान गँवा कर चुकानी होती है। कई बार ग्रामीणों को बेहतर इलाज़ करवाने के लिए मेट्रो सिटी का रुख करना पड़ता है, जिसमें कम से कम एक परिवार को 10 हज़ार का खर्चा आता है। एक अनुमान के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों का 1250 करोड़ सिर्फ चिकित्सा पर ही खर्च होता है। इन सबके वाबजूद अगर ग्रामीण क्षेत्रों की चिकित्सा वयवस्था का जिम्मा आंगनवाडी और आशा कार्यकर्त्ता उठाए हुए है। अगर आंगनवाडी और आशा कार्यकर्त्ता चिकीत्सा में अहम् भूमिका ना निभाएं तो खर्च और जान की हानि का भी आकड़ा बढ़ जाएगा। गौरतलब हो की ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनवाडी और आशा कार्यकर्त्ता की पहुंच हर घर तक होती है।

अपने कार्य क्षेत्र के समुदाय को स्वास्थ्य सेवा संबंधी आवश्यकताओं की जानकारी देने, उन्हें प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने, उपलब्ध सेवाओं के उपभोग के लिए परामर्श देने, व्यवस्था करने तथा सहायता देने के साथ-साथ जटिल केस को सन्दर्भित करने, उनको स्वास्थ्य सेवा केन्द्र पहुँचाने में मदद करने, ग्राम स्वास्थ्य योजना बनाने में सहायता करने तथा लोगों को सफाई और स्वच्छता के महत्त्व को बताते हुए स्वच्छ पेयजल तथा शौचालय आदि बनवाने में बदद करने जैसे कार्य ‘आशा’ के सामान्य कार्यों में आते है।

इनका मुख्य कार्य ग्राम स्वास्थ्य योजना तैयार करने में भागीदारी, स्वास्थ्य संबंधी आदतों में सुधार के लिए विचार विमर्श, स्वास्थ्य कर्मियों से संपर्क व सहयोग आँगनबाडी कार्यकर्ती के साथ तालमेल, ए.एन.एम.के साथ तालमेल, परामर्श देना, मरीज को अस्पताल तक पहुँचाने में मदद करना, प्राथमिक चिकित्सकीय देखभाल करना, डिपो होल्डर, रिकार्ड रखना और पंजीकरण करना है।

ग्राम स्वास्थ्य योजना ग्राम स्तर पर किये जाने वाले सभी स्वास्थ्य कार्यों की आधारशिला होती है। इस योजना में स्वास्थ्य समस्याओं को पहचानकर उसके समाधान के लिए कार्ययोजना तैयार की जाती है। इस योजना को तैयार करने में ‘आशा’ नर्स दीदी, आंगनबाडी बहन और पंचायत सदस्यों की मदद करते हुए हिस्सेदारी करती है।

ग्रामीण लोगों, खासकर महिलाओं, पुरुषों एवं किशोरों में स्वास्थ्य सूचना का अभाव पाया जाता है।स्वास्थ्य संबंधी सूचना और संपर्क, दवा की गोलियों और सुइयों की तरह की कारगर होता है, अर्थात उचित ज्ञान और सलाह लोगों को बीमारियों से मुक्त करताहै। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य आदतों में सुधार लाने हेतु वांछित सलाह और ज्ञान देना ‘आशा’ के कार्यों का एक मुख्य अंग है। आशा एवं आँगनबाडी कार्यकर्ती माह में एक/दो बार स्वास्थ्य दिवस आयोजित करेंगी, जिसमें स्वच्छता, पोषण, गर्भावस्था के दौरान देखभाल, टीकाकरण, सुरक्षित प्रसव आदि के बारे में बताया जाएगा। आँगनबाडी, ‘आशा’ को विभिन्न दवा/किटें प्रदान करेगी। 

ए.एन.एम. ‘आशा’ के साथ साप्ताहिक/पाक्षिक बैठक करेगी, जिसमें उसकी विभिन्न गतिविधियों पर चर्चा करेगी और यदि कोई समस्या आ रही होगी तो उसका समाधान करेगी। वह आशा को समुदाय में की जाने वाली बैठक की तिथि व समय की जानकारी देगी तथा बैठक में लाभार्थियों को लाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेगी।

अपने कार्यक्षेत्र में समुदाय को स्वच्छता एवं सफाई, पोषण एवं संतुलित आहार, गर्भावस्था के दौरान पुरी देखभाल, प्रसव की तैयारी, सुरक्षित प्रसव का महत्त्व, स्तनपान, टीकाकरण, महिलाओं को प्रजनन तंत्र संक्रमण की जानकारी, बिंदुओं पर जनस्वास्थ्य क्रियाकलापों की जानकारी तथा परामर्श देना इनका मुख्य कार्य है, जिससे समुदाय के स्वास्थ्य मानकों का विकास हो सके।

गॉंव में किसी भी पुरुष/महिला/बच्चे को शारीरिक रूप से अधिक रुगण होने की स्थिति में चिकित्सालय पहुँचाना। उचित और कारगार प्राथमिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना ‘आशा’ के कार्य और दायित्वों का एक महत्त्वपूर्ण भाग है। ‘आशा’ को दवा-किट के माध्यम से विभिन्न दवाइयॉं व सामग्री दी जाती है। इसमें विभिन्न प्रकार की तकलीफों के लिए दी जानेवाली जवाएँ जैसे ओ.आर.एस. घोल, आयरन एवं फोलिक एसिड गोलियॉं, पैरासिटामाल गोली आदि शामिल है।

साल 2022-23 का बजट पेश करते हुए फाइनेंस मिनिस्टर सीतारमण ने कहा था कि, महिलाओं और बच्चों के विकास के लिए मिशन शक्ति, (Mission Shakti),मिशन वात्सल्य (Mission Vatsalya), सक्षम आंगनवाड़ी (Saksham Anganwadi) और पोषण 2.0 प्रोगाम शुरू किए हैं। सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 योजना के लिए 20,105 करोड़ आवंटित किए गए है।

मौजूदा समय की अगर बात करें तो DIISHA एक कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। जिसके तहत दो लाख आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वो ग्रामीण क्षेत्रों में जा कर उनके स्वास्थ सम्बन्धी समस्याओं का समाधान वहीँ कर सकें। ऐसा होने से ग्रामीण वासियों को कहीं दूर नहीं जाना पड़ेगा।

अभी DIISHA कार्यक्रम को पायलट तौर पर 9 राज्यों में शुरू किया गया है। इन राज्यों में लक्ष्य है की 1 करोड़ 25 लाख लोगों की देख रेख किया जा सके वहीँ आने वाले समय में DIISHA कार्यक्रम के तहत 12 करोड़ 25 लाख लोगों की देखरेख की जायेगी।

जिन 9 राज्यों में ये कार्यक्रम पायलट तौर पर शुरू किया गया है वो राजस्थान, गुजरात,उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, सिक्किम, आसाम, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र है।

DIISHA कार्यक्रम के तहत जब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता प्रशिक्षण ले लेंगे तो घर-घर जाकर वो मोबाइल ऐप के माध्यम से ही बता देंगी की किसको क्या बीमारी है । ऐसा होने से ग्रामीण क्षेत्रों का मृत्यु दर कम होगा। अभी अगर देखेंगे तो ग्रामीण क्षेत्रों ज्यतातर मृत्यु सिर्फ जानकारी के आभाव में होयता है या फिर सुविधाओं की कमी से होता है। अगर आंगनवाडी कार्यकर्त्ता के मोबाइल में कुछ ऐसी बीमारी का पता चलता है जिसका इलाज वहां मौजूद नहीं है तो उस बीमारी के विशेषज्ञ बुलाने का पर्याप्त समय मिलेगा। इससे मेट्रो सिटी जाने की जरुरत नहीं होगी जिससे 1250 करोड़ रुपए का बचत होगा।

कुछ महीनों पहले ही भारत की 10 लाख आशा स्वयं सेवियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से सम्मानित किया गया था. जिसके बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा था, मुझे इस बात की खुशी है कि आशा कार्यकर्ताओं की पूरी टीम को डब्ल्यूएचओ महानिदेशक के ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया है। सभी आशा कार्यकर्ताओं को बधाई। वे एक स्वस्थ भारत सुनिश्चित करने में सबसे आगे हैं। उनका समर्पण और दृढ़ संकल्प सराहनीय है।

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