What Is Electric highway: आपकी कार और कार से होने वाले सफर को आसान और सुरक्षित बनाने की दिशा में सरकार तेजी से काम कर रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी एक तरफ जहां 6 एयरबैग और भारत NCAP क्रैश टेस्ट जैसे नियमों को हरी झंडी दे चुकी है। तो दूसरी तरफ देश में चारों तरफ एडवांस्ड हाईवे का निर्माण हो रहा है। इसी दिशा में अब सरकार ने नया कदम उठाया है। नितिन गडकरी ने हाइड्रॉलिक ट्रेलर ओनर्स एसोसिएशन के एक इवेंट में बताया कि सरकार दिल्ली और मुंबई के बीच एक इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि इस हाईवे पर ट्राली बस और ट्राली ट्रक भी चलाए जा सकते हैं।
आखिर इलेक्ट्रिक हाईवे क्या होता है? ये आम हाईवे की तुलना में कैसे अलग है? क्या इस पर सिर्फ इलेक्ट्रिक व्हीकल को ही चलाया जाएगा? ऐसे हाईवे पर चलने के लिए स्पेशल परमिट की जरूरत होगी? इन तमाम सवालों के जवाब इस खबर में जानते हैं।
क्या होता है इलेक्ट्रिक हाईवे?
ऐसा हाईवे जिस पर इलेक्ट्रिक व्हीकल चलते हैं, उसे ही इलेक्ट्रिक हाईवे कहा जाता है। कुछ खास इलेक्ट्रिक व्हीकल को चलाने के लिए इन हाईवे के ऊपर इलेक्ट्रिक वायर लगाए जाते हैं। आपने ट्रेन के ऊपर इलेक्ट्रिक वायर देखा होगा। ट्रेन के इंजन से ये वायर एक आर्म के जरिए कनेक्ट होता है, जिससे पूरी ट्रेन को इलेक्ट्रिसिटी मिलती है। इसी तरह हाईवे पर भी इलेक्ट्रिक वायर लगाए जाएंगे। हाईवे पर चलने वाले व्हीकल को इन्हीं वायर्स से इलेक्ट्रिसिटी मिलेगी। इस तरह के हाईवे पर इलेक्ट्रिक व्हीकल को चार्ज करने के लिए थोड़ी-थोड़ी दूरी पर चार्जिंग स्टेशन भी मिलते हैं। कुल मिलाकर इन इलेक्ट्रिक हाईवे को इलेक्ट्रिक व्हीकल के हिसाब से तैयार किया जाता है।
ट्रॉलीबस के साथ ट्रॉलीट्रक भी चलेंगे
नितिन गडकरी ने पिछले साल बताया था कि देश का पहला इलेक्ट्रिक हाईवे दिल्ली और जयपुर के बीच तैयार किया जाएगा। 200 किलोमीटर लंबे इस हाईवे को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के साथ ही एक नई लेन पर बनाया जाएगा। ये लेन पूरी तरह इलेक्ट्रिक होगी। इसमें सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन ही चलाए जाएंगे। पूरी तरह तैयार होने के बाद ये देश का पहला इलेक्ट्रिक हाईवे भी बन जाएगा। इस इलेक्ट्रिक हाईवे को स्वीडन की कंपनियों के साथ मिलकर तैयार किया जा रहा है। इस इलेक्ट्रिक हाईवे पर ट्रॉलीबस के साथ ट्रॉलीट्रक भी चलाई जाएंगी। ट्रॉलीबस एक इलेक्ट्रिक बस होती है, जिन्हें ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर से पावर मिलता है जिसके ये आगे बढ़ती हैं।
इस तरह काम करेंगे इलेक्ट्रिक हाईवे
>> इलेक्ट्रिक हाईवे के लिए दुनियाभर में 3 तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि देश में स्वीडन की कंपनियां इलेक्ट्रिक हाईवे पर काम कर रही हैं ऐसे में माना जा रहा है कि हमारे यहां भी स्वीडन की ही टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। स्वीडन में पेंटोग्राफ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है, जो भारत में ट्रेनों में भी इस्तेमाल की जाती है। इसमें सड़क के ऊपर एक वायर लगाया जाता है, जिसमें इलेक्ट्रिसिटी फ्लो होती है। एक पेंटोग्राफ के जरिए इस इलेक्ट्रिसिटी को वाहन में सप्लाई किया जाता है। ये इलेक्ट्रिसिटी डायरेक्ट इंजन को पावर देती है। या व्हीकल में लगी बैटरी को चार्ज करती है।
>> इलेक्ट्रिक हाईवे पर कंडक्शन और इंडक्शन टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल किया जाता है। कंडक्शन मॉडल में सड़क के अंदर ही वायर लगाया जाता है, जिस पर पेंटोग्राफ टकराते हुए चलता है। वहीं, इंडक्शन टेक्नोलॉजी में कोई वायर नहीं होता। इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक करंट के जरिए व्हीकल को इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई की जाती है। स्वीडन और जर्मनी के इलेक्ट्रिक व्हीकल में हाइब्रिड इंजन का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह के इंजन को पेट्रोल-डीजल के साथ इलेक्ट्रिसिटी से भी चलाया जा सकता है।
क्या होती है हाइब्रिड कार?
हाइब्रिड कार में दो मोटर का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पहला पेट्रोल इंजन होता है जो किसी नॉर्मल फ्यूल इंजन वाली कार की तरह होता है। वहीं दूसरा एक इलेक्ट्रिक मोटर इंजन होता है, जो आपको इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में देखने को मिलता हैं। इन दोनों की पावर का यूज गाड़ी को चलाने में किया जाता है। जब कार फ्यूल इंजन से चलती है तब उसके बैटरी को भी पावर मिलती है जिससे बैटरी अपने आप ही चार्ज हो जाती है। ये जरूरत के समय एक्स्ट्रा पावर के तौर पर किसी इंजन की तरह काम में आती है।
क्या इलेक्ट्रिक हाईवे पर पर्सनल व्हीकल चला पाएंगे?
आप इलेक्ट्रिक हाईवे पर अपने पर्सनल इलेक्ट्रिक व्हीकल का इस्तेमाल कर पाएंगे। इन ई-हाईवे इलेक्ट्रिक व्हीकल को चार्ज करने के लिए थोड़ी-थोड़ी दूर पर चार्जिंग स्टेशन लगाए जाते हैं। यानी आपको अपनी गाड़ी चार्ज करने की टेंशन नहीं रहेगी। इन ई-हाईवे पर पावरफुल चार्जर वाले चार्जिंग स्टेशन होते हैं। जहां 10 से 15 मिनट में आपका इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्ज हो जाएगा। खास बात है कि इन चार्जिंग स्टेशन पर एक साथ दर्जनो इलेक्ट्रिक फोर-व्हीलर का चार्ज किया जा सकता है। हालांकि, इन हाईवे पर आपको नॉर्मल व्हीकल चलाने की परमिशन नहीं मिलेगी।
इलेक्ट्रिक हाईवे के फायदे
>> नितिन गडकरी ने बताया था कि इलेक्ट्रिक हाईवे से लॉजिस्टिक कॉस्ट में 70% की कमी आएगी। खासकर इससे ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट काफी कम हो जाएगी। इसका असर आइटम की कीमतों पर भी होगा। ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट में कमी आने से आइटम भी सस्ते होंगे।
>> ये ईको फ्रेंडली हाईवे होंगे। गाड़ियों को चलाने के लिए इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल किया जाएगा, जो पेट्रोल-डीजल के मुकाबले सस्ती होगी। इससे इनवायरमेंट को भी किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा। पेट्रोल-डीजल पर से डिपेंडेंसी भी कम हो जाएगी।
5 मिनट में दूसरी ई-कार मिलेगी
नेशनल हाईवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अभिजीत सिन्हा ने बाताय था हर चार्जिंग स्टेशन पर प्राइवेट कैब फ्लीट तैनात रहेगी। अगर किसी व्यक्ति ने ई-कैब सर्विस से ड्राइवर सहित या खुद चलाने के लिए कार किराए पर ली है तो कई फायदे होंगे। किसी बायो ब्रेक के लिए 5 मिनट रुकने के बाद ही चार्जिंग स्टेशन से उसी मॉडल की पूरी तरह से चार्ज कार मिल जाएगी। बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी के तहत इन्हीं स्टेशनों पर बैटरी बदली जा सकेगी। यानी, बैटरी खत्म होने पर आपको चार्जिंग के लिए रुकना नहीं पड़ेगा। चार्जिंग स्टेशन पीपीपी मॉडल पर बनाए जा रहे हैं।